मध्य प्रदेश के श्योपुर में केंद्र सरकार का चीता प्रोजेक्ट सफल होता दिखाई दे रहा है। कूनो पार्क में मौजूद चीतों में नर और मादा का अनुपात फिलहाल बराबर (10-10) बना हुआ है। इससे प्रोजेक्ट को मजबूती मिली है क्योंकि भारत में चीतों का पुनर्स्थापित किए जाने के लिए इनका अधिक प्रजनन और समान लिंगानुपात आवश्यक है।
By Navodit Saktawat
Publish Date: Wed, 25 Sep 2024 07:31:02 PM (IST)
Updated Date: Wed, 25 Sep 2024 11:19:03 PM (IST)
HighLights
- कूनो के चीता शावकों में बेहतर लिंगानुपात।
- अब चीता प्रोजेक्ट को मिली है मजबूती।
- वर्तमान में यहां शावकों सहित 24 चीते हैं।
नईदुनिया प्रतिनिधि, श्योपुर। कूनो नेशनल पार्क में चीता प्रोजेक्ट के दो साल में कुछ चीतों की मौत और शावकों के जन्म के बाद लिंगानुपात को लेकर अच्छी सूचना मिली है। यहां नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाकर 10 मादा व 10 नर चीता बसाए गए थे।
इनमें से पांच नर और तीन मादा चीता की मौत से नर चीतों की संख्या घट गई थी। यहां जन्म लेने वाले 17 शावकों में से 12 जीवित हैं। आठ के लिंग की पहचान हो गई है। इसमें पांच नर और तीन मादा हैं। चार चीता शावकों की उम्र करीब छह माह होने से उनके लिंग को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।
इस तरह बढ़ी चीतों की संख्या
- 17 सितंबर, 2022 को शुरू हुआ था केंद्र सरकार का यह प्रोजेक्ट।
- 27 मार्च, 2023 को ज्वाला चीता ने चार शावकों को जन्म दिया था।
- इसमें से केवल एक ही जीवित है। वर्तमान में इसकी हालत ठीक है।
- लगभग डेढ़ वर्ष की इस मादा को मुखी नाम दिया गया है।
- तीन जनवरी, 2024 को चीता आशा ने तीन शावकों को जन्म दिया, ये सभी नर हैं।
- 22 जनवरी, 2024 को ज्वाला ने चार शावकों को जन्म दिया, इनमें दो नर व दो मादा बताए गए हैं।
- 10 मार्च, 2024 को चीता गामिनी ने छह शावकों को जन्म दिया, जिनमें से दो की मौत हो चुकी है।
- अब यहां शावकों सहित 24 चीते हैं। यौन द्विरूपी प्रजाति का है।
- चीता विशेषज्ञों के अनुसार चीता एक यौन द्विरूपी प्रजाति है।
- ये शेर जैसी अन्य बड़ी बिल्ली प्रजातियों के लिंगों के बीच समान शारीरिक अंतर प्रदर्शित नहीं करते हैं।
ऐसे पता करते हैं लिंग
छह से आठ माह की उम्र के बाद शावकों की शारीरिक बनावट और गतिविधि के बाद ही लिंग के बारे में स्पष्ट पता चल पाता है। जन्म से 18 माह तक वह शावक, 18 से 24 माह तक किशोरावस्था में रहता है। नर चीता मादा की तुलना में थोड़ा बड़ा होता है और उनका सिर भी बड़ा होता है। कूनो नेशनल पार्क के डीएफओ थिरुकुराल आर. के अनुसार चीता शावकों को पकड़कर लिंग देखा जाना संभव नहीं रहता। मॉनिटरिंग टीम भी उनके बहुत करीब नहीं जाती। ऐसे में उनका लिंग स्पष्ट करने में देरी होती है। टीम उनके स्वस्थ रहने के लक्षणों पर अधिक ध्यान देती है।