3 घंटे पहलेलेखक: ऋचा श्रीवास्तव
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मेरा नाम आयुष्मान भातरा है। मैं 20 साल का हूं और मैंने CUET-UG 2022 में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल की है। मैंने इंग्लिश मीडियम में एग्जाम दिया था। CUET-UG में मेरे डोमेन सब्जेक्ट्स थे – मैथ्स, अकाउंटेंसी, बिजनेस आंत्रप्रेन्योरशिप और इकोनॉमिक्स।
मैंने लैंग्वेज पेपर में इंग्लिश लैंग्वेज का टेस्ट दिया था। इसके अलावा जनरल टेस्ट भी दिया था। 7 में से 5 सब्जेक्ट्स में मैंने 100 पर्सेंटाइल मार्क्स स्कोर किए थे। फिलहाल, मैं श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन कर रहा हूं।
आयुष्मान भातरा ने 12वीं के बाद CUET-UG क्वालिफाई करने के बाद अपने ड्रीम कॉलेज में एडमिशन ले लिया। आज टॉपर्स मंत्रा में जानेंगे एंट्रेंस एग्जाम में टॉप करने के लिए आयुष्मान ने क्या खास स्ट्रैटजी अपनाई और कॉलेज कैसे चुना..
अपनी रैंक और स्कोर से करें कोर्स और कॉलेज का एनालिसिस
कोई भी यूनिवर्सिटी या कॉलेज सिलेक्ट करने से पहले इस बात पर ध्यान दें कि आप कौन सा कोर्स करना चाहते हैं। हर स्ट्रीम और स्टूडेंट के इंटरेस्ट के हिसाब से पसंदीदा कोर्स अलग-अलग हो सकते हैं। मैं कॉमर्स स्टूडेंट हूं तो मेरे लिए ज्यादातर कॉलेजों में BCom Hons, इकोनॉमिक्स Hons, मैनेजमेंट में BMS और BBFIA जैसे कोर्सेज मौजूद हैं।
इसके बाद मैंने ये सर्च किया कि किन कॉलेजों में मुझे ये कोर्सेज मिल सकते हैं और इन कॉलेजों की लिस्ट बनाई। जब तक CUET UG का रिजल्ट नहीं आया तब तक मैंने कोलकाता के सेंट जेवियर कॉलेज में एडमिशन ले लिया था। ऐसा करने से मेरी सीट एक ऐसे कॉलेज में पक्की हो गई जिसका कोर्स मुझे पसंद था। रिजल्ट आने के बाद मैंने कॉलेज स्विच किया।
कॉलेज की प्रेफरेंस लिस्ट बनाने से पहले जरूरी है रिसर्च
रिजल्ट आने के बाद कॉलेज का प्रेफरेंस चुनने का मौका मिलता है। आपकी रैंक और पर्सेंटाइल क्या है, जो कोर्स आप करना चाहते हैं क्या आपकी रैंक पर आपको उस कोर्स में एडमिशन मिल सकता है या नहीं, क्या वो कॉलेज उस कोर्स के लिए सही है, ऐसे कुछ फैक्टर्स के बेसिस पर आप अपनी प्रेफरेंस शीट भर सकते हैं।
मैंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के बाद अपने लिए बैकअप के तौर पर बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी को चुना था। इसके अलावा मैंने दूसरे ऑप्शन नहीं भरे थे क्योंकि मैं अपने स्कोर और रैंक को लेकर कॉन्फिडेंट था। मैंने कोर्स के साथ-साथ कॉलेज और ब्रांड नेम को इम्पॉर्टेंस दी ताकि मुझे ज्यादा से ज्यादा मौके मिल सकें।
कोर्सेज के एडमिशन क्राइटेरिया के बेसिस पर कर सकते हैं अप्लाई
अलग-अलग कोर्सेज के लिए एडमिशन क्राइटेरिया अलग-अलग होते हैं। जैसे BA प्रोग्राम या BCom प्रोग्राम कोर्सेज के लिए आप 3 डोमेन सब्जेक्ट्स और 1 लैंग्वेज कोर्स के हिसाब से एडमिशन के लिए कोर्स चुनकर अप्लाई कर सकते हैं। प्रोग्राम कोर्सेज के लिए एक ऑप्शन 1 डोमेन, जनरल टेस्ट और 1 लैंग्वेज के साथ भी अलग-अलग कोर्सेज में अप्लाई कर सकते हैं। ग्रेजुएशन के लिए सब्जेक्ट चुनने का सबसे अच्छा तरीका है 12वीं के कोर सब्जेक्ट में से किसी एक सब्जेक्ट को चुनना।
12वीं बोर्ड एग्जाम के सब्जेक्ट्स के बेसिस पर लें एडमिशन
दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेजों में किसी कोर्स में अप्लाई करने के लिए जरूरी है कि वो सब्जेक्ट CUET में डोमेन सब्जेक्ट भी हो। इसका मतलब ये है कि 12वीं बोर्ड एग्जाम में जो सब्जेक्ट्स चुने थे, कॉलेज में ग्रेजुएशन के लिए भी वही सब्जेक्ट चुनें। इस तरह आपको अपने लिए बेस्ट कॉम्बिनेशन और बेस्ट रैंक के साथ उन कोर्सेज में अप्लाई करना होगा जहां आपको एडमिशन मिलने का सबसे ज्यादा चांस हो। इस लिस्ट को काउंसलिंग के दौरान एडिट और अपडेट कर सकते हैं।
कॉलेज या कोर्स, किसे दें ज्यादा इम्पॉर्टेंस?
आयुष्मान भातरा के मुताबिक कॉलेज या कोर्स चुनते हुए आप चाहें तो कॉलेज को वरीयता दे सकते हैं। अगर किसी अच्छे कॉलेज में एडमिशन मिल रहा हो, तो ले लें। इस बात का ख्याल रखें कि जिस कोर्स में एडमिशन ले रहे हैं, वो आप हैंडल कर सकें। मैं कॉमर्स स्टूडेंट हूं और मैं BCom Hons कोर्स में एडमिशन लेना चाहता था। अगर मुझे इस कोर्स में एडमिशन नहीं मिलता तो मैं उसी कॉलेज में इकोनॉमिक्स Hons में एडमिशन ले लेता।
मेरा मानना है कि कोर्स या कॉलेज चुनते समय सबसे ज्यादा इम्पॉर्टेंस कोर्स को देनी चाहिए। इसके बाद अपने स्कोर के हिसाब से कॉलेज चुन सकते हैं। ऐसा न हो कि आपको कोई कोर्स इतना मुश्किल लगने लगे कि आपको वो छोड़ना पड़े। अपनी इंटरेस्ट के हिसाब से बेहतर कॉलेज में रिलेटेड कोर्सेज में एडमिशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं।
कॉलेज चुनने का फैसला इकोनॉमिकल होना चाहिए
आयुष्मान भातरा ने कहा – अगर मुझे इकोनॉमिक्स Hons किसी बेहतर कॉलेज में मिल रहा हो जबकि BCom उससे नीचे रैंक के कॉलेज में मिल रहा हो, तो मैं अच्छे कॉलेज में इकोनॉमिक्स Hons में एडमिशन ले लेता जबकि वो मेरा सेकेंड प्रेफरेंस है। सिर्फ अच्छे कॉलेज में एडमिशन भर ले लेना मकसद नहीं होना चाहिए। अगर आप मैथ्स में कमजोर हैं और आपने मैथ्स Hons में एडमिशन ले लिया है तो कोई फायदा नहीं है। कॉलेज चुनते समय आपको इकोनॉमिकल फैसला लेना है जिसमें आपका सबसे ज्यादा फायदा हो।
पढ़ाई के साथ स्टार्ट-अप पर काम करने के लिए चुना BCom Hons
मेरे पिता वकील हैं और मां हाउसवाइफ हैं। मैंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गुवाहाटी के डॉन बोस्को स्कूल से की थी। CUET UG एग्जाम क्वालिफाई करने के बाद मैंने अपने ड्रीम कॉलेज – श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (SRCC) में BCom Hons प्रोग्राम में एडमिशन लिया। इस कोर्स में पढ़ाई का स्ट्रेस इकोनॉमिक्स Hons कोर्स की तुलना में थोड़ा कम रहता है इसलिए मैंने इसे चुना।
मैंने 12वीं में आंत्रप्रेन्योरशिप की पढ़ाई की है और मैं अपने स्टार्ट-अप पर काम करना चाहता हूं। इस वजह से मैंने ऐसा कोर्स चुना जो एकेडमिकली ज्यादा मुश्किल न हो और साथ ही मेरे नॉलेज पार्ट की ज्यादा से ज्यादा जरूरतें पूरी भी करे।
आयुष्मान बताते हैं- ये फोटो मैंने SRCC में एडमिशन के बाद अपने पेरेंट्स के साथ क्लिक करवाई थी। मैं हमेशा से चाहता था कि ऐसी कोई पिक्चर हो
बैकअप में रखे थे दिल्ली यूनिवर्सिटी के दो कॉलेज
मैंने बैकअप में भी दो कॉलेज रखे थे। किसी वजह से अगर SRCC में एडमिशन नहीं मिलता तो दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफेंस कॉलेज और शहीद सुखदेव कॉलेज मेरे गो-टू ऑप्शंस थे। सेंट स्टीफेंस कॉलेज में एडमिशन होने पर मैं इकोनॉमिक्स Hons चुनता और शहीद सुखदेव कॉलेज से BBA FI फाइनेंस कोर्स। CUET-UG के रिजल्ट आने से पहले मैंने कोलकाता के सेंट जेवियर कॉलेज में करीब 2 महीने पढ़ाई की थी। रिजल्ट आने के बाद मैंने अपने ड्रीम कॉलेज में एडमिशन ले लिया।
SRCC में पढ़ना बचपन का सपना था
SRCC में पढ़ना मेरे बचपन का सपना था। मेरे पापा पेशे से वकील हैं और उन्होंने BCom+ LLB की पढ़ाई है। मैं जब क्लास 4 में था तब मैंने यूं ही पापा से पूछा था कि देश का सबसे अच्छा कॉलेज कौन-सा है। उन्होंने मुझे बताया था कि श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स बेस्ट है। पापा की पढ़ाई कॉमर्स बैकग्राउंड से हुई थी। शायद इस वजह से मुझे उन्होंने SRCC के बारे में बताया। मेरा सपना था कि मैं देश के बेस्ट कॉलेज से ही पढ़ाई करूं और 10वीं के बाद कॉमर्स में मेरा इंटरेस्ट भी बढ़ने लगा। मैं पैसे और फाइनेंस को हैंडल करने के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाहता था।
CUET UG की 80% तैयारी बोर्ड एग्जाम के बीच हुई
मैंने CUET UG एग्जाम के लिए अलग से तैयारी नहीं की। मैं बोर्ड एग्जाम के लिए पढ़ाई कर रहा था और मेरा मानना है कि इन दोनों चीजों को अलग-अलग नहीं देखना चाहिए। बोर्ड एग्जाम के दौरान आप अपने कॉन्सेप्ट्स क्लियर करते हैं और यही चीज आपको CUET एग्जाम में काम आती है।
मैंने बोर्ड एग्जाम के लिए दिसंबर से अच्छे से पढ़ाई शुरू की थी। बोर्ड एग्जाम से पहले मैं हर दिन लगभग 4 से 6 घंटे पढ़ाई करता था। इस दौरान मैंने कॉन्सेप्ट्स क्लियर करने और प्रैक्टिस करने पर फोकस किया। CUET UG की 80% तैयारी बोर्ड एग्जाम के साथ ही हुई।
CUET UG के लिए इंग्लिश लैंग्वेज और जनरल टेस्ट पर फोकस किया
जनवरी से CUET UG के लिए मैंने इंग्लिश लैंग्वेज और जनरल टेस्ट के लिए पढ़ना शुरू किया। कुछ टॉपिक्स ऐसे थे जो बोर्ड एग्जाम के सिलेबस में नहीं थे, लेकिन एंट्रेंस एग्जाम के सिलेबस में थे। बोर्ड एग्जाम खत्म होने के बाद मैंने इन टॉपिक्स को अच्छे से पढ़ा। मैंने इंग्लिश लैंग्वेज और जनरल टेस्ट के लिए ऑनलाइन कोचिंग की थी। मैंने एंट्रेंस एग्जाम का पैटर्न समझने और ट्रिक समझने के लिए कोचिंग ली थी, न की सब्जेक्ट नॉलेज के लिए
बोर्ड एग्जाम के बाद हर दिन की 10-12 घंटे पढ़ाई, 300 मॉक टेस्ट दिए
बोर्ड एग्जाम होने के बाद एंट्रेंस एग्जाम के लिए मैंने हर दिन लगभग 10 से 12 घंटे पढ़ाई की। मुझे इस बात का एहसास था कि ये मेरे लिए सबसे इम्पॉर्टेंट एग्जाम है। मैं सुबह 4 बजे उठकर पढ़ाई शुरू करता था। सुबह 4 से 9 बजे के बीच रिवीजन करता था और फिर पूरे दिन लगभग 9 से 5 बजे तक मॉक टेस्ट देता था।
इसके बाद रिजल्ट का एनालिसिस करता था। टेस्ट में जो गलतियां हुईं उन्हें क्लियर करता था। शाम 6 से 9 के बीच गलतियों के हिसाब से दोबारा रिवीजन करता था। मैंने 3-4 अलग-अलग आर्गेनाईजेशन से टेस्ट मटेरियल लिए थे और सभी को सॉल्व किया था। मैंने करीब 300 मॉक टेस्ट दिए थे। लगातार मॉक टेस्ट देने से आपको ये समझ आएगा कि आपको किन चैप्टर्स में या किन टॉपिक्स में प्रॉब्लम आती है। इन टॉपिक्स पर अपनी पकड़ बनाने के लिए आप टॉपिक वाइज टेस्ट दे सकते हैं या किसी टीचर से खासतौर पर उस टॉपिक को समझ सकते हैं।