नीरज ने कहा- बेस्ट थ्रो आना बाकी: इंजरी के कारण नहीं मिला था सही रनवे; स्टार जैवलिन थ्रोअर ने पेरिस ओलिंपिक में सिल्वर जीता


अम्बाला15 मिनट पहलेलेखक: राजेश खोखर

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स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलिंपिक में सिल्वर जीता। सभी को उनसे गोल्ड की उम्मीद थी। मेडल जीतने के बाद नीरज ने कहा, ‘खेल में हार-जीत या मेडल का छोटा-बड़ा होना चलता रहता है। मायने यह रखता है कि आप खुद का बेस्ट दे पाए या नहीं।

मैं अभी बेस्ट नहीं दे पाया। मेरा बेस्ट थ्रो अभी बाकी है, जो जल्द आएगा। जिस तरह का दिन था तो मुझे लगा था कि 90 मीटर थ्रो आएगा लेकिन वह नहीं आ पाया। यह बात मेरे दिल को लगी है। मेरा शरीर पूरी तरह साथ नहीं दे रहा था।’ पढ़िए नीरज से बातचीत के अंश…

पिछली बार गोल्ड के बाद इस बार सिल्वर जीता, इसे आप कैसे देखते हैं?
अच्छी बात है कि इस बार भी मेडल आया। यह अलग है कि इस बार गोल्ड नहीं जीत पाया। लेकिन खेल में यह सब चलता रहता है। जो सोचा था रिजल्ट वैसा नहीं आ पाया।

आपके मुताबिक नतीजा नहीं आने के क्या कारण हैं?
अभी भी जो थ्रो आया वो सही नहीं आया। हालांकि, एक सही थ्रो ने सिल्वर जिता दिया। लेकिन मेरे शरीर ने पूरी तरह साथ नहीं दिया। इसमें शरीर की भी गलती नहीं है। काफी समय से मैं अपनी इंजरी को इग्नोर करता आ रहा हूं। इंजरी के कारण प्रैक्टिस भी सही से नहीं कर पा रहा था। इसी वजह से कुछ प्रतियोगिताएं भी नहीं खेलीं। अब इस पर काम करना है।

आपको कौन सी इंजरी है और इससे क्या परेशानी हो रही है?
मुझे काफी समय से ग्रोइन इंजरी है। इस वजह से सही से दौड़ नहीं पाते। फाइनल में भी मेरे हाथ से थ्रो बिलकुल सही जा रहा था, लेकिन इस इंजरी के कारण सही रनवे नहीं मिल रहा था। जैवलिन में 40 फीसदी ऊपर का शरीर काम करता है और 60 फीसदी पैरों का काम है। सबसे पहले तो भागने में सही मोमेंटम मिलना जरूरी है, जो इंजरी के कारण नहीं मिलता। दूसरा अंतिम समय में थ्रो फेंकने से पहले खुद को लाइन के पास ब्लॉक करना पड़ता है, उसमें भी पैरों का ही काम होता है। पैरों पर शरीर का पूरा दबाव लेना होता है। इस इंजरी के कारण यह दोनों ही काम सही से नहीं हो रहे थे।

अभी आपकी उम्र 26 वर्ष है और अगले ओलिंपिक तक 30 हो जाएगी। अगले गेम्स के लिए क्या प्लान है?
उम्र इतनी मायने नहीं रखती, लेकिन अगला ओलिंपिक जरूर दिमाग में है। सबसे पहले अपनी इंजरी पर काम करना है। ओलिंपिक से पहले काफी इवेंट आएंगे, जिनमें अपना बेस्ट देने का प्रयास करूंगा।

आपके गेम में निरंतरता है। आपको इसकी प्रेरणा कहां से मिलती है?
सब कुछ भूल कर लगातार अभ्यास करते रहना पड़ता है। इस ओलिंपिक से पहले भी कई महीने से विदेश में ट्रेनिंग कर रहा था। घर पर भी 15-20 दिन में एक बार बात होती थी। यह त्याग करना पड़ता है। प्रेरणा मुझे खुद से ही मिलती है। एक छोटे से गांव में जहां कोई इस खेल को जानता भी नहीं था, वहां से यहां तक आ गया। जब इस संघर्ष व सफर को देखता हूं तो मोटिवेशन मिलती है। ।

आपके करियर का बेस्ट थ्रो कौनसा है?
2016 वर्ल्ड जूनियर में मैंने एक थ्रो किया था 86.48 मीटर का। उसी थ्रो से मैं आज तक संतुष्ट हुआ हूं। उसमें मुझे लगा था कि मेरे हाथ से कोई अच्छा थ्रो निकला है।

आपके शौक क्या हैं? रिलेक्स करने के लिए क्या करते हैं?
मुझे दोस्तों के साथ बाहर घूमना काफी पसंद है। रिलेक्स करने के लिए गाने और हरियाणा रागिनी सुनता हूं। इवेंट के समय मुझे लाउड म्यूजिक पसंद है। इसमें शिव तांडव काफी सुनता हूं। उससे शरीर में अलग ही एनर्जी आ जाती है।

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