मध्य प्रदेश के श्योपुर के अलावा चंबल अंचल के भिंड और मुरैना में भी संचालित मदरसों में हिंदू बच्चों के फर्जी दाखिले की बात सामने आई है, जिसमें अभिभावकों की जानकारी के बिना ही बच्चों के नाम मदरसों में दर्ज पाया गया है। दो साल पहले ही जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने भौतिक सत्यापन का दावा कर मान्यता अवधि 2025 तक बढ़वाई थी।
By Navodit Saktawat
Publish Date: Thu, 01 Aug 2024 07:24:37 PM (IST)
Updated Date: Thu, 01 Aug 2024 07:28:31 PM (IST)
नईदुनिया प्रतिनिधि, श्योपुर। मध्य प्रदेश के श्योपुर में फर्जी मदरसों के खेल में न सिर्फ हिंदू बच्चों के नाम दर्ज करने में फर्जीवाड़ा हुआ है, बल्कि मदरसों के संचालकों को लेकर भी नियमों के अनदेखी सामने आई है। जिन 56 मदरसों की मान्यता समाप्त की गई, उनमें कई ऐसे हैं जिनके संचालक के रूप में शासकीय शिक्षक, लेक्चरर के नाम दर्ज हैं। जबकि नियमानुसार शासकीय शिक्षक या कर्मचारी मदरसे का संचालन नहीं कर सकते।
कांग्रेस की दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री रहे इब्राहिम कुरैशी के रिश्तेदार, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के जिला महामंत्री रहे आरिफ खान और मदरसा बोर्ड की पूर्व जिला प्रभारी नफीसा के रिश्तेदार के नाम से भी कई मदरसे संचालित बताए गए हैं।
बता दें कि मदरसों में हिंदू बच्चों को तालीम दिए जाने के मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने मुख्य सचिव वीरा राणा को दिल्ली तलब किया तो उसके डेढ़ माह बाद जांच में श्योपुर में सामने आई गड़बड़ी पर मदरसों की मान्यता समाप्त की गई है।
श्योपुर के अलावा चंबल अंचल के भिंड और मुरैना में भी संचालित मदरसों में हिंदू बच्चों के फर्जी दाखिले की बात सामने आई है, जिसमें अभिभावकों की जानकारी के बिना ही बच्चों के नाम मदरसों में दर्ज पाया गया है। प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने इस संबंध में जांच के निर्देश दिए हैं।
कागजों में भौतिक सत्यापन, संचालकों की सूची पर भी संदेह
जिन मदरसों की मान्यता रद हुई है, उनका संचालन वर्ष 2007 से शुरू हुआ था। मान्यता के लिए सात सदस्यों की सोसाइटी को मदरसा बोर्ड और वक्फ बोर्ड से पंजीयन कराना पड़ता है। इसके बाद बोर्ड में आनलाइन आवेदन कर उसकी हार्ड काफी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जमा करनी होती है।
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से ही भौतिक सत्यापन की रिपोर्ट के बाद मदरसा बोर्ड इसकी मान्यता देता है। बताया जाता है कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से वर्ष 2022 में ही जिले में संचालित 80 मदरसों का भौतिक सत्यापन कर 2025 तक मान्यता बढ़वाई गई थी।
ऐसे में लंबे समय से चल रहे इस फर्जीवाड़े पर जिला शिक्षा अधिकारी, बीईओ कार्यालय, संबंधित संकुल केंद्र की निगरानी पर सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि बताया जाता है कि कई संचालक ऐसे भी हैं, जिन्होंने कुछ वर्ष पूर्व मदरसों के संचालन की जिम्मेदारी छोड़ भी दी थी, परंतु रिकार्ड में उनका ही नाम संचालक के रूप में दर्ज है। ऐसे में शासन द्वारा इन्हें अनुदानित राशि की वसूली भी आसान नहीं होगी।
निरीक्षण में जो 56 मदरसे असंचालित पाए गए थे, उनका प्रतिवेदन हमने भेजा था। मान्यता समाप्ति को लेकर हमें अभी सिर्फ एक पत्र मिला है। वर्ष 2007 से शुरू हुए मदरसों के संचालकों की सूची भी अपडेट की गई है। यदि नियम विरुद्ध संचालन के बात सामने आएगी तो उसकी भी जांच की जाएगी।
रविंद्र सिंह तोमर, जिला, शिक्षा अधिकारी श्योपुर