नई दिल्ली. हमारा देश बहुत सारे मुद्दों पर बंटा हुआ था, लेकिन ऑस्ट्रेलिया पर मिली जीत ने एकजुट कर दिया है. ब्रिस्बेन में मिली यादगार जीत को बहुत दिन बीत चुके हैं, फिर पूरे देश में भी उत्साह का माहौल है. कोई भी व्यक्ति जीत के इस प्रभाव को विज्ञापनों और सोशल मीडिया में महसूस कर सकता है. हर तरह के समाज में यह चर्चा का विषय है. क्रिकेट ही मुख्य मुद्दा है. जो लोग भारत को नहीं जानते हैं, उनके लिए यह अस्वाभाविक है लेकिन जब टीम जीतती है तो क्रिकेट का बुखार चरम पर रहता है. बाकी सारी चीजें पीछे छूट जाती हैं.
मैं हाल ही में लोगों के एक समूह का हिस्सा था, जहां आगामी बजट को लेकर चर्चा हो रही थी. हालांकि, यहां लोगों का मूड तेजी से बदल गया. कम से कम आधे समय तक लोगों ने ऑस्ट्रेलिया में मिली अप्रत्याशित और असाधारण जीत, अमीर और युवा भारतीय प्रतिभा के उदय, चेन्नई में इंग्लैंड के खिलाफ होने वाले पहले टेस्ट पर बात की.
क्रिकेट प्रतिद्वंद्विता के मामले में भारत और इंग्लैंड टेस्ट सीरीज अभी एशेज से बहुत पीछे है. भारत-इंग्लैंड संबंधों की आकर्षक और समृद्ध राजनीतिक-सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत का दुर्भाग्य से क्रिकेट में उस हद तक दोहन नहीं हुआ, जितना हो सकता था.
INDIA VS ENGLAND से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पहलू-भारत कुछ शताब्दियों तक एक ब्रिटिश उपनिवेश था. भारत में अंग्रेजों द्वारा मनोरंजन के रूप में क्रिकेट को पेश किया गया था. लेकिन एक बार स्थानीय लोगों ने खेल के लिए कौशल विकसित करना शुरू कर दिया तो यह तेजी से फैला.
-सामाजिक-राजनीतिक दृष्टिकोण से भारतीयों ने शुरुआत में मनोरंजन की जगह सामाजिक गतिशीलता के लिए क्रिकेट अपनाया और अपने औपनिवेशिक गुरुओं के सामने इसे साबित भी किया. फिल्म लगान में यह दिखाया गया कि वे उनके बराबर हो सकते हैं.
-INDIA VS FREST SERISE (1932) के खिलाफ खेला था. पहली टेस्ट जीत उसे इंग्लैंड (1951-52) के खिलाफ मिली थी. 1971 में ओवल के मैदान में इंग्लैंड को हराने के बाद भारत को इस खेल में एक बड़ी ताकत के रूप में मान्यता दी गई थी.
-यह एक ऐतिहासिक जीत थी. उससे पहले इंग्लैंड टेस्ट सीरीज के लिए भारत में ‘बी’ टीमों को भेजता था. इंग्लैंड क्रिकेट के महान खिलाड़ी मे, ट्रूमैन और ग्रेवेनी जैसे प्लेयर्स ने कभी भारत का दौरा नहीं किया. 1976 के बाद से सर्वश्रेष्ठ अंग्रेजी खिलाड़ियों ने खुद को उपलब्ध कराया है.
-1983 विश्व कप में वेस्टइंडीज के खिलाफ मिली जीत क्रिकेट में बड़े बदलाव का कारण बना. लॉर्ड्स में फाइनल के लिए बीसीसीआई के वरिष्ठ प्रशासकों को अतिरिक्त पास से वंचित कर दिया गया था. इसके बाद उन्होंने वैश्विक प्रशासन में यथास्थिति को चुनौती दी, टूर्नामेंट पर इंग्लैंड के एकाधिकार को तोड़ दिया और 1987 में भारत को विश्व कप की मेजबानी दिलाई.
-इस सदी में विशेष रूप से आईपीएल के अस्तित्व में आने के बाद भारत क्रिकेट का ‘एल डोराडो’ बन गया है. लीग में इंग्लैंड के खिलाड़ियों को अनुमति देने के लिए शुरू में अनिच्छुक इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड ने विद्रोह की आशंका देखते हुए अपने घरेलू सत्र में बदलाव कर दिया ताकि खिलाड़ियों को आईपीएल में सत्र के बड़े हिस्से में भाग लेने दिया जा सके.
ऐसे उदाहरण हैं, जो दर्शकों को बताए जा सकते हैं. जो दोनों देशों की किक्रेट प्रतिस्पर्धा को मजबूत करते हैं. इंटरनेशनल क्रिकेट का डायनेमिक्स तेजी से बदल रहा है. पहले ही से ही भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया एशेज की तरह प्रतिष्ठित प्रतियोगिता रहा है. भारत बनाम पाकिस्तान यकीनन एशेज से भी बड़ा है और भारत बनाम इंग्लैंड इस जगह को भरने के लिए उपलब्ध है.
हाल में ही भारत जब ऑस्ट्रेलिया को उसी सरमजीं पर रौंद रहा था, तब इंग्लैंड की टीम श्रीलंका के खिलाफ दोनों टेस्ट मैच शानदार अंतर से जीती. पूरी दुनिया ने भारत की शानदार जीत की सराहना की. ऑस्ट्रेलिया को उसकी जमीन पर हराना बेहद मुश्किल है. ब्रिस्बेन के मैदान पर ऑस्ट्रेलिया को 1988 के बाद पहली बार हार मिली है. ऑस्ट्रेलिया पर जीत से उत्साहित भारतीय टीम इंग्लैंड के खिलाफ कप्तान विराट कोहली और इशांत शर्मा की वापसी से और मजबूत होगी. हालांकि, रवींद्र जडेजा और मोहम्मद शमी टीम का हिस्सा नहीं होंगे. लेकिन घर पर खेलने का फायदा है. पिछली बार जब इंग्लैंड ने भारत का दौरा किया था, तब उन्हें पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में 0-4 से हरा दिया गया था.
अतीत में ताकतवर टीमों ने धीमी, धूल भरी, टूटी हुई लंका की पिचों के खिलाफ ठोकर खाई है. इंग्लैंड इस बार बल्लेबाजी और गेंदबाजी में अच्छी तरह से तैयार था. बाएं हाथ के स्पिनर लसिथ एम्बुदेनिया इस सीरीज में सबसे ज्यादा 15 विकेट लेने वाले खिलाड़ी और इंग्लैंड के बल्लेबाजों पर प्रभाव डालने वाले एकमात्र खिलाड़ी रहे. इसके उलट इंग्लैंड के तेज गेंदबाज एंडरसन और वुड और स्पिनर डोमिनिक बेस और जैक लीच सभी को सफलता मिली.
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