केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहले भी कहा था कि कोरोना के दौरान आ रहा बजट कई मायनों में खास होगा. अब ऐसा लग भी रहा है. वित्त मंत्री ने इस दौरान आत्मनिर्भर भारत पैकेज का जिक्र किया. आत्मनिर्भर भारत शब्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लगातार कहते आए हैं. खासकर कोरोना के दौरान कई वजहों से इसपर पीएम मोदी का जोर बढ़ा. जानिए, क्या है आत्मनिर्भर भारत के राजनैतिक और सामाजिक और आर्थिक मायने.
माना जा रहा है कि आत्मनिर्भर भारत का बजट से बड़ा संबंध है
दरअसल मोदी सरकार के दौर में लगातार देश को आत्मनिर्भर बनाने की बात होती आई. ये हर मामले में है, जैसे तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता से लेकर अन्न की पैदावार में भी आत्मनिर्भरता. स्वदेशी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की बात कही जा रही है.
आत्मनिर्भर भारत में फार्मा सेक्टर भी शामिल है- सांकेतिक फोटो (pixabay)
चीन से तनाव एक कारण
इसकी जड़ में जाएं तो एक बड़ी वजह चीन जैसे देशों पर हमारी निर्भरता भी है. कोरोना संक्रमण के दौर में चीन से हमारा तनाव बढ़ने के बीच देखा गया कि किन चीजों के मामले में हम चीन पर निर्भर हैं. इसमें सबसे ऊपर तकनीक दिखी. इसके अलावा कई छोटी-छोटी चीजें भी मेड-इन-चाइना हैं. ये चीजें पूरे भारतीय बाजार पर कब्जा कर चुकी हैं. यहां तक कि हमारे यहां के उत्पादक कम बिक्री के कारण लागत निकालने को ज्यादा कीमत पर देसी उत्पाद बेचने को मजबूर हैं.
मेड-इन-चाइना का बहिष्कार
कोरोना के दौर में चीन से बढ़े हुए सीमा तनाव के बीच मोदी सरकार की अगुवाई में मेड-इन-चाइना के बहिष्कार की बात चली. एक के बाद एक 59 एप बंद किए गए, जिनपर सरकार को शक था कि ये जासूसी कर रहे हैं. इसके अलावा मोबाइल समेत देसी उत्पादों के बहिष्कार की मुहिम चली. खुद देश के नामी-गिरामी व्यापारी सामने आए, जो स्वदेशी सामानों के निर्माण की बात करने लगे. बता दें कि साल 2018 में चीन से आयात 70 अरब डॉलर का था. अब देश इसे काफी कम करना चाहता है.
चीन से बढ़े तनाव के बीच आत्मनिर्भर भारत का जिक्र आया- सांकेतिक फोटो (flickr)
मिला वोकल फॉर लोकल का नारा
यही आत्मनिर्भर भारत मौजूदा केंद्र सरकार का एक बड़ा लक्ष्य है. इसे पूरा करने के लिए सरकारी मशीनरी दिलो-जान से जुटी हुई है. साल 2020 के मध्य में पीएम मोदी ने एक लुभावना नारा दिया- वोकल फॉर लोकल. इसके जरिए इस बार पर जोर दिया गया कि हम भारतीय विदेशी सामानों का मोह छोड़कर अपना खुद का बेहतर उत्पाद बनाएं और इस देसी उत्पाद की पूछ विदेशों तक ले जाएं. मिसाल के तौर पर हमारे यहां तैयार कोरोना के दो टीकों की मांग विदेशों तक है और ये न केवल देश को आर्थिक लाभ देगा, बल्कि ग्लोबल बेहतरी की ओर बढ़ा कदम है.
पैकेज का एलान हुआ
आत्मनिर्भर भारत की तरफ नए कदम के तौर पर केंद्र सरकार ने 27.1 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की. इसमें फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक के अलावा कुल 10 सेक्टर शामिल हो चुके हैं. साथ ही साथ एक और अहम एलान हुआ. इसके तहत अगर भारतीय कंपनियां पूरी तरह से से स्वदेशी उत्पाद बनाती हैं तो इसपर उन्हें प्रोत्साहन राशि मिलेगी. ये योजना अगले 5 सालों के लिए है.
मेक इन इंडिया का नारा भी आया था
वैसे बता दें कि साल 2014 में केंद्र सरकार ने मेक इन इंडिया की भी अपील की थी. ये भी आत्मनिर्भर भारत से मिलती-जुलती योजना थी लेकिन खास सफल नहीं हो सकी. इसकी वजह ये भी मानी गई कि इसके तहत सरकार ने एक साथ ढेरों उद्योगों को शामिल कर लिया था, जबकि आत्मनिर्भर भारत में फिलहाल कम ही सेक्टर लाए गए हैं, जो मुख्य हैं, जैसे इलेक्ट्रॉनिक, फार्मा, रक्षा, ऑटोमोबाइल और खाद्य.
वित्त मंत्री ने बजट को आत्मनिर्भर बजट बताते हुए पैकेज का जिक्र किया- सांकेतिक फोटो (pixabay)
सेहत में भी आत्मनिर्भरता
वित्त मंत्री ने भी बजट को आत्मनिर्भर बजट बताते हुए पैकेज का जिक्र किया. उन्होंने साथ में आम बजट में 64,180 करोड़ रुपयों के एक पैकेज के जरिए आत्मनिर्भर स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू करने की बात की. ये पैकेज राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत आएगा. संक्रामक बीमारी ने अब देशों के सोचने का तरीका बदला है और वे बजट में बड़ा हिस्सा सेहत पर रख रहे हैं. हमारे यहां भी वित्त मंत्री ने हेल्थकेयर सेक्टर के लिए बजट 94 हजार करोड़ रुपए से बढ़ाकर 2.38 लाख करोड़ रुपए कर दिया.
तो इस तरह से आत्मनिर्भर भारत की ओर शुरुआती कदम तो दिखने लगे हैं लेकिन ये राह कितनी मुश्किल या आसान होगी, फिलहाल ये कहा नहीं जा सकता. इसकी वजह ये भी है कि हम अब भी कच्चे सामान के लिए काफी हद तक चीन पर निर्भर हैं. हालांकि इसकी तोड़ के रूप में सरकार कच्चे माल के लिए दूसरे देशों में डील करने जा रही है ताकि चीन पर निर्भरता घटे.
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