इजरायल में कोरोना वैक्सीन इतनी तेजी से लगाई जा रही है कि वहां अधिकतर आबादी कवर हो चुकी. अब ये देश अपने लोगों को ग्रीन पासपोर्स इश्यू कर रहा है. इस पासपोर्टधारक के लिए दुनिया में ट्रैवल करना आसान होगा क्योंकि इससे संक्रमण का कोई खतरा नहीं होगा. अब कई सारे देश इजरायल की राह पर हैं.
इजरायल पिछले सालभर से ठप पड़ी अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए खूब मशक्कत कर रहा है. वो दुनियाभर में सबसे तेजी से कोरोना का टीका लगाने वाले देश के तौर पर उभरा. बता दें कि वहां की आबादी 9 मिलियन है, जिनमें से 3.4 मिलियन लोगों को कोरोना का टीका लग चुका. साथ ही मार्च के अंत तक यहां की 70 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण हो चुका होगा.
अब जबकि वहां बड़ूी आबादी टीके का दूसरा दौर भी पूरा कर चुकी, देश ऐसे लोगों को खास पासपोर्ट जारी कर रहा है. ग्रीन पासपोर्ट नाम से ये दस्तावेज एक तरह का संकेत है कि पासपोर्ट-धारी से अब कोरोना संक्रमण का खतरा नहीं. इसके साथ ही ये देश ग्रीस और साइप्रस जैसे देशों से बातचीत की प्रक्रिया में है ताकि इंटरनेशनल ट्रैवल हो सके.
ग्रीन पासपोर्ट जारी करने का बड़ा मकसद दूसरे देशों का डर खत्म करना है. अभी या तो ज्यादातर देशों ने कई संक्रमित देशों के लिए सीमाएं बंद कर रखी हैं. या फिर अगर ट्रैवल हो भी रहा है तो पहले विदेशियों की जांच होती है और फिर क्वारंटाइन रखा जाता है. ये समय और धन की भी बर्बादी है. ऐसे में ग्रीन पासपोर्ट इस डर और पैसों की बर्बादी से राहत दे सकता है.
कई दूसरे देशों के अलावा सर्बिया, रोमानिया और चीन से भी इजरायल की बातचीत शुरू हो चुकी है और वे सीमाएं खोलने पर सोच रहे हैं. इधर इजरायल के ग्रीन पासपोर्ट जारी करने की पहल दूसरे देशों के लिए भी कारगर साबित हो सकती है. बता दें कि पहले से ही इस तरह के इम्यूनिटी सर्टिफिकेट की बात हो रही थी.
सबसे पहले साल 2020 के अक्टूबर में अंतर्राष्ट्रीय एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) ने ये बात की थी. ये एक तरह का डिजिटल पासपोर्ट होगा, जिसमें यात्री के कोविड 19 टेस्ट, टीकाकरण प्रमाण पत्र जैसी जानकारियां दर्ज रहेंगी, जिससे यात्री को यात्रा के दौरान दिक्कत न के बराबर हो. इसी डिजिटल पासपोर्ट में यात्री के वास्तविक पासपोर्ट की ई कॉपी भी अपलोड होगी, जिससे उसकी पहचान हो सकेगी.
इसके लिए ग्लोबल एयरलाइन लॉबी एक खास किस्म के मोबाइल फोन एप पर काम कर रही है. पासपोर्ट संबंधी एप को लेकर IATA अभी प्लानिंग स्टेज में है, तो दूसरी तरफ वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम और कॉमन्स प्रोजेक्ट फाउंडेशन जैसी संस्थाएं लंदन से न्यूयॉर्क के बीच उड़ानों में ‘कॉमनपास’ एप को डेवलप करने के बाद टेस्ट कर चुकी हैं.
क्यों जारी किए जा रहे पासपोर्ट और एप
साल 2020 में एयरलाइन उद्योग को 118.5 अरब डॉलर का नुकसान हो चुका है और 2021 में और 38.7 अरब डॉलर का नुकसान होने के अनुमान हैं. वहीं, 2019 के स्तर से देखा जाए तो अंतर्राष्ट्रीय हवाई यात्रा 90 फीसदी तक सिकुड़ चुकी है. अर्थव्यवस्था को जो झटके कोविड 19 के कारण लगे हैं, उनके चलते एविएशन में 1.8 ट्रिलियन डॉलर तक की कमी आएगी. इससे उबरने में लंबा वक्त लगने के कयास हैं. यही कारण है कि जल्द से जल्द अर्थव्यवस्था को सुचारू ढंग से चलाने की कवायद में ये सारी कोशिशें हो रही हैं.
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