चीतों को लेकर अगली रणनीति वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर गर्मियों के कम होने के बाद ही तैयार की जाएगी।
By Prashant Pandey
Publish Date: Sun, 26 May 2024 03:39:17 PM (IST)
Updated Date: Sun, 26 May 2024 03:44:18 PM (IST)
HighLights
- टीमें चीता की लोकेशन वाले क्षेत्र में आसपास के गांवों को भी अलर्ट कर रहीं है।
- चीते अब यहां के माहौल में परिपक्व हो चुके हैं और अब वे टेरेटरी विकसित करने के दौर में हैं।
- कूनो के जंगलों का इलाका 748 वर्ग किलोमीटर मुख्य जोन में है, जबकि 487 बफर जोन में है।
Kuno National Park: नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। कूनो नेशनल पार्क से निकली मादा चीता वीरा फिलहाल कूनो लौटती नहीं दिख रही है। वह ग्वालियर-मुरैना की सीमा पर ही उसका डेरा है, और उसे शिकार भी मिल रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक इतने समय तक एक ही क्षेत्र में रुकना चीता की नई टेरेटरी की खोज दर्शाता है, हालाकि कूनो प्रबंधन का कहना है कि चीता कूनो के जंगल में रहे या आसपास के किसी जंगल में।
उनकी प्राथमिकता चीता की हर हाल में सुरक्षा है, जिसके उद्देश्य के लिए पार्क की ट्रेकिंग लगातार उसके पीछे है। टीमें चीता की लोकेशन वाले क्षेत्र में आसपास के गांवों को भी अलर्ट कर रहीं है। चीतों को लेकर अगली रणनीति वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर गर्मियों के कम होने के बाद ही तैयार की जाएगी।
कूनो नेशनल पार्क से मादा चीता वीरा 4 मई को बाहर निकली थी और मुरैना के पगारा डैम के पास उसकी लोकेशन मिली थी। यह क्षेत्र ग्वालियर जिले की सीमा से सटा है। तब से चीता ग्वालियर मुरैना की सीमा पर ही डेरा डाले हुए है। इससे पहले 28 मार्च को वीरा चीता कूनो से निकलकर लगभग 20 दिनों तक मुरैना जिले की सीमा में रही थी।
इतने कम अंतराल में चीते का यहां लगभग डेढ़ माह तक समय बिताने को लेकर विशेषज्ञ मान रहे है कि चीते को यह क्षेत्र रास आ रहा है। भारत में बसाए गए चीते अब यहां के माहौल में परिपक्व हो चुके हैं और अब वे टेरेटरी विकसित करने के दौर में हैं।
क्या कम पड़ा रहा कूनो का जंगल?
कूनो के जंगलों का इलाका 748 वर्ग किलोमीटर मुख्य जोन में है, जबकि 487 बफर जोन में है। कुल मिलाकर 1200 वर्ग किलोमीटर के यह क्षेत्र वर्तमान में कूनो में रह रहे कुल 13 चीतों और 14 शावकों के लिए उपलब्ध है, हालाकि खुले जंगल में दो ही चीते है, उसके बावजूद चीतों को यहां से बाहर निकलकर 100 से 110 किमी दूर तक आना विशेषज्ञों के लिए पहेली जरूर है। वन अधिकारियों का कहना है कि कूनो पालपुर का जंगल राजस्थान से सटा है, चंबल नदी बीच में पड़ती है, इसलिए चीते उसे पार कर करौली व बारां पहुंच चुके हैं, ऐसा ही मुरैना की ओर है।
कूनो का पर्यावरण और सीमावर्ती क्षेत्र का इको सिस्टम एक जैसा होने से चीता बाहर जा रहे है। कूनो के क्षेत्रफल और वहां उनके लिए भोजन पर्याप्त है। कुछ चीतों की प्रवृत्ति नई जगह तक चलने की हो सकती है, पहले भी आशा और पवन चीते बाहर जाते रहे हैं, हालाकि वीरा चीता को बाहर रहते समय ज्यादा जरूर हो गया है। अंचल के तापमान को देखते हुए निगरानी टीम इस बात पर खास ध्यान है कि चीता को भोजन पानी मिल रहा है या नहीं। – थिराकुल आर, डीएफओ, कूनो