Sheopur News: शासन ने नहीं दिया बच्चों को पढ़ने के लिए भवन तो ग्रामीण ने अपने घर में दे दी जगह


भले ही शासन द्वारा सरकारी स्कूलों में बच्चों को हर सुविधा मुहैया कराने के लिए करोड़ो रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन आज भी कई गांव ऐसे हैं जहां स्कूल भवन नहीं होने के कारण बच्चों को पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ना पड़ा रहा है।

By anil tomar

Publish Date: Mon, 22 Apr 2024 12:12 PM (IST)

Updated Date: Mon, 22 Apr 2024 12:22 PM (IST)

HighLights

  1. कई सालों से अटका हुआ बिल्डिंग का प्रस्ताव
  2. कच्चे मकान में बैठकर पढ़ रहे हैं बच्चे

Sheopur News: नईदुनिया प्रतिनिधि, विजयपुर। भले ही शासन द्वारा सरकारी स्कूलों में बच्चों को हर सुविधा मुहैया कराने के लिए करोड़ो रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन आज भी कई गांव ऐसे हैं जहां स्कूल भवन नहीं होने के कारण बच्चों को पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ना पड़ा रहा है। जिसका उदाहरण सेवला गांव में देख सकते हैं, जहां बच्चों ंके बैठकर पढ़ने के लिए स्कूल भवन नहीं होने वजह से काफी परेशानी आ रही थी। ऐसे में गांव के रामप्रसाद प्रजाति ने अपने घर में स्कूल संचालित करने के लिए जगह दी है।

बता दें कि, शासकीय प्राथिमक विद्यालय सेवला पहले पहले अपर ककेटो डैम के पास बसी बस्ती में संचालित हो रहा था, लेकिन ये बस्ती डूब क्षेत्र में आने के कारण सेवाला गांव में विस्थापित कर दिया गया। विस्थापन के समय ने शासन ने बस्ती के लोगों को दूसरी जगह बसा कर सभी व्यवस्थाए मुहैया कराने का आश्वासन दिया था, गांव तो दूसरी जगह विस्थापित हो गया है लेकिन इन बच्चों को आज पढ़ने की सुविधा नहीं मिल रही है। प्राथमिक विद्यालय सेवाला में 48 बच्चे दर्ज है और दो शिक्षक पदस्थ हैं, लेकिन स्कूल भवन नहीं हाेने के कारण बच्चों को पढ़ने में परेशानी आ रही है। अभी गांव के समाजसेवी व्यक्ति द्वारा दिए गए घर में स्कूल संचालित हो रहा है।

बारिश के समय मजबूरन बंद करनी पड़ जाता है स्कूल

सहसराम संकुल के शासकीय प्राथमिक विद्यालय सेवला का स्कूल भवन नहीं होने के कारण अभी दूसरे द्वारा दिए गए कच्चे घर में चल रहा है, बरसात के दिनों में कई कच्चे घर में पानी आने के कारण कई बार बारिश के समय स्कूल बंद करना पड़ जाता है। जिस वजह से छात्र बारिश के समय पढ़ाई से वंचित रह जाते है। जिसकी चिंता न तो विभाग को है और न ही प्रतिनिधि को।

स्कूल भवन नहीं होने के कारण दूसरे के दिए हुए घर में संचालित करना पड़ रहा है। स्कूल भवन की मांग को लेकर हमने प्रस्ताव बनाकर डीइओ कार्यालय को भेज दिया। अब वहीं से प्रस्ताव अटका हुआ है।

केपी अर्गल, बीआरसी, विजयपुर

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    2000 से पत्रकारिता में हूं। दैनिक जागरण झांसी, नवभारत में रिपोर्टर के रूप में काम किया है। दैनिक भास्कर भीलवाड़ा, अजमेर में रिपोर्टर रहा। 2007 से 2013 तक दैनिक भास्कर के मुरैना कार्यालय में ब्यूरो चीफ के रूप मे



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