मध्य प्रदेश में विजयपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए भाजपा ने कांग्रेस छोड़कर आए रामनिवास रावत को मैदान में उतारा था, जबकि कांग्रेस ने पिछली बार इसी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले मुकेश मल्होत्रा पर दांव खेला। इस सीट पर हमेशा ओबीसी बनाम आदिवासी की लड़ाई रही है। कांग्रेस ने इस बार भाजपा की रणनीति अपनाकर जीत हासिल कर ली।
By dhananjay singh
Publish Date: Sun, 24 Nov 2024 07:35:44 AM (IST)
Updated Date: Sun, 24 Nov 2024 09:27:54 AM (IST)
HighLights
- वन मंत्री रामनिवास रावत को मिली हार
- परिणाम में आदिवासी वर्ग की भूमिका
- जातिवाद की लड़ाई में भी भाजपा हारी
धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल (Vijaypur Assembly By Poll Result)। मध्य प्रदेश में दो सीटों पर उपचुनाव के परिणाम से भले ही दोनों पार्टियों की दलीय स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ, लेकिन विजयपुर (Vijaypur) सीट पर हार ने वन एवं पर्यावरण मंत्री रामनिवास रावत के राजनीतिक भविष्य पर फिलहाल विराम लगा दिया है। उन्हें डेढ़ महीने के भीतर मंत्री पद छोड़ना पड़ सकता है।
जातिगत समीकरणों में बंटे विजयपुर सीट के उपचुनाव में आदिवासी मतदाताओं ने कांग्रेस का साथ दिया। खासतौर से सहरिया आदिवासी प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा को चुनाव में उतारने से यहां का चुनाव आदिवासी बनाम ओबीसी में बदल गया था।
(कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा और भाजपा के रामनिवास रावत)
भाजपा ने झोंकी की थी पूरी ताकत, मिले ये सबक
- भाजपा ने इस सीट पर पूरी ताकत झोंकी थी। इस सीट पर हार प्रदेश की भाजपा सरकार के लिए भी एक अलार्म की तरह है। कांग्रेस के विधायक रामनिवास रावत से इस्तीफा दिलवाकर मंत्री बनाने के निर्णय को जनता ने समर्थन नहीं दिया।
- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर सहित भाजपा के सारे दिग्गजों ने खूब प्रचार किया, लेकिन केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस चुनाव से स्वयं को दूर रखा।
- कांग्रेस की ओर से यहां मोर्चा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने संभाला, तो पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही। वह उपचुनाव के प्रभारी भी थे।
कांग्रेस ने अपनाई भाजपा की रणनीति
विजयपुर से भाजपा प्रत्याशी रामनिवास रावत कांग्रेस छोड़कर आए थे, लेकिन इस विधानसभा क्षेत्र का मूल चरित्र भी कांग्रेस से ही जुड़ा रहा है। रामनिवास यहां से छह बार कांग्रेस के टिकट पर ही चुने गए। वह ओबीसी वर्ग से आते हैं, इसलिए पहले के चुनाव में भाजपा यहां आदिवासी प्रत्याशी खड़ा करती रही है। भाजपा के सीताराम आदिवासी एक बार इस सीट पर चुनाव जीत भी चुके हैं।
इस बार कांग्रेस ने भाजपा की रणनीति अपना ली। कांग्रेस ने आदिवासी नेता मुकेश मल्होत्रा पर दांव लगाया। मुकेश मल्होत्रा पिछले चुनाव में निर्दलीय खड़े हुए थे और तीसरे नंबर पर रहे थे। इस बार कांग्रेस ने चुनाव को आदिवासी बनाम ओबीसी का रंग दे दिया।
आदिवासियों में भी पिछड़ी जनजाति सहरिया वर्ग का यहां वर्चस्व है। इस क्षेत्र में 60 हजार आदिवासी मतदाता हैं। जिस तरफ ये मतदाता करवट लेते हैं, परिणाम उसी के पक्ष में आता है। इस बार भी भाजपा ने आदिवासियों को मनाने के लिए कई जतन किए, लेकिन कोई काम नहीं आए।
पहले से सहरिया और भारिया महिलाओं को पोषण भत्ते के रूप में एक हजार रुपये दिए जा रहे थे और अब उन्हें लाड़ली बहना की राशि अलग से दी जा रही है।
कांग्रेस नेताओं ने दिखाई एकजुटता
इधर, विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पराजय झेल चुकी कांग्रेस आरंभ से ही विजयपुर उपचुनाव को संजीवनी मानकर चल रही थी। कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा के समर्थन में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस के अन्य नेताओं के साथ रोड शो किया।