PK बोले-चुनाव में प्रदर्शन खराब रहे तो राहुल ब्रेक लें: 10 साल की नाकामी के बाद भी न हटे, न किसी को पार्टी चलाने दी


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नई दिल्ली43 मिनट पहले

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प्रशांत किशोर ने कहा कि भाजपा का प्रभाव है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि पार्टी और प्रधानमंत्री मोदी को हराया नहीं जा सकता है।

2024 लोकसभा चुनाव में अगर कांग्रेस को उम्मीद के अनुसार नतीजे नहीं मिलते तो राहुल गांधी को राजनीति से ब्रेक लेने पर विचार करना चाहिए। पॉलिटिकल स्ट्रैटजिस्ट प्रशांत किशोर ने न्यूज एजेंसी PTI को दिए एक इंटरव्यू में यह बात कही।

प्रशांत ने कहा- राहुल गांधी कांग्रेस को जिताने के लिए पिछले 10 साल से असफल प्रयास कर रहे हैं। इसके बावजूद वे न तो राजनीति से अलग हुए और न ही किसी और को पार्टी का चेहरा बनने दिया। मेरी नजर में यह लोकतांत्रिक नहीं है।

प्रशांत ने कहा- जब आप (राहुल गांधी) पिछले 10 साल से एक ही काम कर रहे हैं और उसमें कोई सफलता नहीं मिली है, तो ब्रेक लेने में कोई बुराई नहीं है। आपको इसे किसी और को पांच साल के लिए करने देना चाहिए। आपकी मां ने ऐसा ही किया था।

प्रशांत ने कहा- पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी ने क्या किया। 1991 में उन्होंने राजनीति से दूरी बना ली। कांग्रेस की कमान पीवी नरसिम्हा राव को दे दी। उसका रिजल्ट आप सबको पता है।

राहुल को प्रशांत की 4 नसीहत…

1. हिंदी पट्टी में नहीं जीते, तो वायनाड जीतने का फायदा नहीं
प्रशांत ने राहुल को लेकर कहा कि कांग्रेस की लड़ाई उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में है, लेकिन उनके नेता मणिपुर और मेघालय का दौरा करते हैं। अगर आप यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश में नहीं जीते, तो वायनाड से जीतने का कोई फायदा नहीं है। अकेले केरल जीतकर आप देश नहीं जीत सकते। अमेठी छोड़ देने से भी गलत संदेश जाएगा।

प्रशांत ने प्रधानमंत्री मोदी का उदाहरण देते हुए कहा- नरेंद्र मोदी ने 2014 में अपने गृह राज्य गुजरात के साथ-साथ उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ने का विकल्प चुना था। इसलिए, क्योंकि आप भारत को तब तक नहीं जीत सकते जब तक आप हिंदी पट्टी को नहीं जीतते या हिंदी पट्टी में मौजूदगी दर्ज नहीं कराते।

2. राहुल को लगता है कि वे सब कुछ जानते हैं
प्रशांत किशोर ने कहा- दुनियाभर के अच्छे और बड़े नेताओं की एक विशेषता है। वे जानते हैं कि उनमें क्या कमी है। वे अपनी कमियों और खामियों को ठीक करने के लिए हमेशा कोशिश करते रहते हैं, लेकिन राहुल को लगता है कि वे सब कुछ जानते हैं।

उन्होंने कहा- अगर आप मदद की जरूरत को नहीं पहचानते हैं, तो कोई भी आपकी मदद नहीं कर सकता। मेरा मानना है कि राहुल गांधी को लगता है कि उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो उन्हें जो सही लगता है उसे पूरा कर सके। यह संभव नहीं है।

3. राहुल ने 2019 में पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ा, जो बोला किया नहीं
प्रशांत किशोर ने कहा- 2019 के चुनावों में पार्टी की हार के बाद राहुल ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का फैसला किया था। उन्होंने तब लिखा था कि वह पीछे हट जाएंगे और किसी और को पार्टी की जिम्मेदारी देंगे, लेकिन उन्होंने जो लिखा, उसके विपरीत काम कर रहे हैं। कांग्रेस और उसके समर्थक किसी भी व्यक्ति विशेष से बड़े हैं। राहुल को जिद नहीं करनी चाहिए कि बार-बार विफलताओं के बावजूद वही पार्टी का नेतृत्व करेंगे।

4. हार के लिए चुनाव आयोग और मीडिया पर सवाल उठाना गलत
प्रशांत ने राहुल के उन दावों पर सवाल उठाया जिसमें चुनाव में हार के लिए चुनाव आयोग, न्यायपालिका और मीडिया पर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि यह आंशिक रूप से सच हो सकता है, लेकिन पूरा सच नहीं है। उन्होंने कहा कि 2014 के चुनावों में कांग्रेस 206 सीटों से घटकर 44 सीटों पर आ गई थी जब वह सत्ता में थी और भाजपा का विभिन्न संस्थानों पर बहुत कम प्रभाव था।

प्रशांत के इंटरव्यू की 3 खास बातें…

1. भाजपा की जीत की वजह विपक्ष की कमजोर रणनीति
प्रशांत ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव में भाजपा ओडिशा और पश्चिम बंगाल में नंबर एक पार्टी बनने जा रही है। तेलंगाना में भाजपा पहले या दूसरे नंबर पर रह सकती है। तमिलनाडु में भाजपा का वोट शेयर दोहरे अंक तक पहुंच सकता है।

कुल 543 लोकसभा सीटों में से तेलंगाना, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, बिहार और केरल में 204 सीटें हैं। हालांकि भाजपा 2014 या 2019 में इन सभी राज्यों को मिलाकर 50 सीटों का आंकड़ा भी पार नहीं कर सकी थी।

प्रशांत ने कहा- विपक्ष की सुस्त और कमजोर रणनीति की वजह से भाजपा को दक्षिण और पूर्वी भारत में फायदा होता दिख रहा है। इन दो क्षेत्रों में 2019 के मुकाबले पार्टी के वोट शेयर और सीटें बढ़ सकती हैं। ये दो क्षेत्र ऐसे हैं, जहां पार्टी की पकड़ कमजोर है।

2. विपक्ष ने भाजपा को रोकने के मौके गंवाए
किशोर ने कहा कि भाजपा का प्रभाव है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि पार्टी और प्रधानमंत्री मोदी को हराया नहीं जा सकता है। विपक्ष के पास भाजपा के रथ को रोकने की तीन संभावनाएं थीं, लेकिन उन्होंने सुस्त और गलत रणनीतियों के कारण तीनों मौके गवां दिए।

प्रशांत किशोर ने बताया कि 2014 के बाद भाजपा बैकफुट पर थी। तब कांग्रेस इसका फायदा उठाने में विफल रही। 2015 और 2016 में भाजपा के लिए चुनावी दौर काफी निराशाजनक रहा, जब वह असम को छोड़कर कई विधानसभा चुनाव हार गई थी।

2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में जीत के बाद भाजपा का प्रदर्शन फिर से खराब रहा। 2018 में पार्टी कई राज्यों में हार गई, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने उसे वापस आने का मौका दिया।

2020 में कोविड के बाद मोदी को अपनी अप्रूवल रेटिंग में गिरावट का सामना करना पड़ा। भाजपा पश्चिम बंगाल में बुरी तरह हार गई। दूसरी तरफ, विपक्ष के नेता चुनौती का सामना करने के बजाय अपने घरों में बैठ गए, जिससे मोदी को राजनीतिक वापसी करने का मौका मिल गया। अगर आप कैच छोड़ते रहेंगे तो बल्लेबाज शतक बनाएगा, खासकर जब वह अच्छा बल्लेबाज हो।

3. आंध्र में CM जगन मोहन का सत्ता में वापस आना बहुत मुश्किल
प्रशांत किशोर ने आंध्र प्रदेश में लोकसभा चुनाव के साथ हो रहे विधानसभा चुनाव पर भी बात की। उन्होंने कहा- इस बार मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के लिए वापस आना बहुत मुश्किल होगा। रेड्डी छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तरह लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के बजाय वोटर्स को खुश करने में लगे हैं।

किशोर ने कहा कि रेड्डी पुराने राजाओं की तरह हैं, जो गरीब लोगों को पैसे बांटते थे। इसी तरह रेड्डी लोगों को कैश ट्रांसफर करते हैं। उनके विकास के लिए कुछ नहीं करते। उन्होंने राज्य के लोगों को नौकरियां देने या रुके हुए विकास को बढ़ावा देने के लिए कुछ नहीं किया है।

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